राजस्थान के इतिहास को भारत मे वीरता,बलिदान, त्याग, तपस्या इत्यादि के लिए जान जाता है। लेकिन राजस्थान राज्य में स्तिथ अजमेर (ajmer ka itihas) शहर को राजस्थान का दिल कहकर बुलाया जाता है। क्योंकि यहां अनेक समुदायों की संस्कृति और विरासत की झलक देखने को मिलती है। यहां दुनिया का एकमात्र ब्रह्मा जी का मंदिर और ख्वाजा मोइनुदीन चिश्ती की दरगाह के आगे पूरी दुनिया के लोग अपने मस्तक झुककर अपने परिवार की सलामती की दुआ मांगते है। अजमेर में स्तिथि पुष्कर को तीर्थो की नगरी कहा जाता है। क्योकि यहां भगवान ब्रह्मा ने स्वयं अवतार लेकर यज्ञ किया था। ajmer history in hindi
अजमेर का इतिहास राजपुतो की संस्कृति, वीरता, ओर मातृभूमि की रक्षा के प्रति प्रेम को दर्शता है। राजपूतो ने अपनी वीरता के बल पर 700 सालो से ज़्यादा सासन किया और अनेक धर्मो के लिए उत्थान के कार्य किया। इसमे जेन संयदाय का जेन मंदिर, बोधो का बोध का मठ, सीखो के गुरुद्वारे, ओर साईं बाबा का मंदिर और तीर्थो की नगरी पुष्कर प्रमुख है, जो अजमेर के इतिहास को भारत मे सबसे अलग बनाते है।
अजमेर का इतिहास –
अजमेर शहर की स्थापना 20 मार्च 1112 को अजयराज चोहान के द्वारा की गई थी । अजयराज चोहान वंश का तेइसवां शासक था ,इसने अजमेर की स्थापना करके इसको चौहान वंश की राजधानी बनाया। प्राचीन शिलालेखों ओर अभिलेखों पर अजयराज, अजयपाल ओर अजयदेव के नाम का उलेख देखने को मिलता है। लेकिन इतिहासकारो ओर स्थानीय लोगो ने अजयराज चौहान को ही अजमेर का शासक माना है।
अजमेर कहा पर स्तिथ है
अजमेर शहर तारागढ़ की पहाड़ियों के किले के ढाल पर स्तिथ है, जो अरावली पर्तमाल से जुड़ा हुवा है। यह जयपुर शहर से 135 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण – पश्चिम में स्तिथ है, जो कि उतर-पश्चिम दिल्ली- अहमदाबाद रेलवे मार्ग पर स्तिथ है। अजमेर शहर के दक्षिण -पश्चिम में लूनी नदी बहती रहती है ओर पूर्व में बनास नदी की सहायक छोटी छोटी नदिया बहती रहती है।
यहां के लोगो से बात करने पर पता चलता है, की इन इलाकों में मुगलो की बेगम सुबह शाम अपना समय गुजारने के लिए आती थी। ओर इसी दौरान नूरजहाँ ने इत्र को इजाद किया था। हालांकि कुछ स्थानीय लोगो का कहना है, की नूरजहाँ की माँ ने इत्र को इजाद किया है। लेकिन इत्र ओर गुलाब की खुश्बू में काफी समानत देखी जा सकती है। क्योकि इसकी खुश्बू की महक बड़ी मस्त होती है। वर्तमान समय मे हर घर मे इत्र देखने को मिल जाता है
प्राचीन अजमेर (अजयमेरु) का इतिहास और चौहान राजवंश –
अजमेर के इतिहाश में राजपूतो के चौहान वंश का योगदान प्रमुख रहा है। कर्नल टॉड , बंबई गजट, राजपुताना इतिहास के अनुसार अजयमेरु की स्थापना 1112 में चोहान वंश के शासक अजयराज के द्वारा की गई थी। जिसपर चौहान राजवंश के राजाओं ने करीब 700 सालो तक अजयमेरु (वर्तमान अजमेर) पर शासन किया। अजमेर के इतिहास में राजपूतो की जानकारी 1940 से पूर्व चन्दरवर्दय द्वारा रचित पर्तवीराज रासो में देखने को मिलती है। यह एकमात्र ऐसा महाकाव्य ग्रन्थ था, जिसमे अजमेर के इतिहास और चौहान राजवंश बारे में जानकारी देखने को मिलती है। लेकिन 1940 में व्यूहमर ने जयत कश्मीरी द्वारा रचित पर्तवीराज विजय महाकाव्य को प्रस्तुत किया । इस महाकाव्य को ताड़पत्रों पर गहराई से लिखा गया था, जो हमे अजमेर के इतिहास को पढ़ने और समझने में मदद करता है। history of ajmer
अजयराज का उत्तराधिकारी ओर आनंदसगर झील का निर्माण किसने करवाया –
अजयराज के बाद उसका पुत्र अर्णोराज अजमेर की गद्दी पर बैठा। अर्णोराज ने अजमेर के सौंदर्य में काफी बदलाव किया है। बजरंग गढ़ पहाड़ी ओर कोबरा भैरू पहाड़ियों के बीच मे एक बांध के निर्माण का कार्य करवाया गया । वर्तमान समय मे इस बांध को आनंदसगर झील के नाम से जाना जाता है, जिसका निर्माण अर्णोराज ने करवाया। अर्णोराज ने आनंदसगर झील के निर्माण के बाद पुष्कर झील के चारो ओर सुंदर सुंदर घाटों का निर्माण किया।
अर्णोराज के बाद उसका पुत्र विग्रहराज बिसाल ने बीसलपुर नगर स्थापित करके अजमेर में सांस्कृतिक गतिविधयों को बढ़ाया। इसके बाद पर्तवीराज दितीय ने वैधनाथ धाम , गंगवान ओर शिव मंदिर का निर्माण करवाकर अजमेर के इतिहास में अपना योगदान दिया।
पर्तवीराज तृतीय ओर मुहमद गोरी का युद्ध – अजमेर का इतिहास
सन 1992 में मुहमद गोरी ने भारत पर धोखे से आक्रमण कर दिया ओर पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना लिया। कहा जाता है, की राजपुताना शक्ति इतनी बड़ी थी, की मुहमद गोरी को 18 बार युद लड़ने पड़े। लेकिन 17 बार हारने के बाद मुहमद गोरी ने पृत्वराज तृतीय को हराकर दिल्ली पर अपना शासन कर लिया। कहेते है, की पृथ्वीराज सहोहं ने 4 बार मुहमद गोरी को जीवनदान दिया था। लेकिन अपने लालच, इस्या के कारण उसने पृत्वी राज तृतीय को जान से मारने की कोसिस की, लेकिन पर्तवीराज चौहान ने अंत मे अपने शब्दभेदी बाण से मुहमद गोरी का अंत कर दिया।
अजमेर पर गुलाब वंश का शासन और इतिहास –
अकबर मोइनुदीन चिश्ती में गहरी आस्था रखता था। सन 1993 में मुहमद को गोरी को हराकर अकबर ने अजमेर पर अपना अधिकार कर लिया। मुहमद गोरी ज़्यादा दिन तक टिक नही पाए। अजयमेरु में जहाँगीर ओर अकबर ने मोइनुदीन चिस्ती के पास मस्जिदों का निर्माण करवाया। जहाँगीर के बाद सांजहा ने अजमेर को अपना निवास स्थल बनाया । साहजहां ने तारागढ़ की पहाड़ियों पर एक किले का निर्माण करवाया था , यह पहाड़ी काफी ऊची थी, इसलिए इस किले से दूर दूर तक के इलाको को आसानी से जाना जा सकता है। इस किलो को जिब्राटर कहा जाता है।
लेकिन सन 1756 में अजमेर गुलाम वश से मराठो के हाथों में चल गया। लेकिन जल्द ही अजमेर पर अंग्रेजो का अधिपत्य स्थापित हो गया और अंग्रेजो ने 1876 मयो कॉलेज की स्थापना की गई, इससे पहले 1836 में ऑस्फोर्ट गवर्मेंट कॉलेज की स्थापना की गई थी।
रामायण, महाभारत और पुष्कर झील के साथ अजमेर का इतिहास –
अजमेर का संबंध रामायण और महाभारत से भी जुड़ा हुआ है। अजमेर में स्तिथ पुष्कर को तीर्थो की नगरी कहेते है। लेकिन क्या आप जानते है, की पुष्कर को तीर्थो की नगरी क्यों कहते है। यहां जगत पिता श्री परम् ब्रहम्मा जी का मंदिर देखने को मिलता है। पूरी दुनिया मे पुष्कर ही ऐसा तीर्थ स्थान है, जहा ब्रह्मा जी मंदिर देखने को मिलता है। ब्रह्मा जी ने स्वयं अवतार लेकर राक्षणो का अंत किया था। लेकिन असुरों का अंत करने के बाद ब्रह्मा जी को यज्ञ करके धरती को पवित्र करना था। लेकिन ब्रह्मा जी की अर्धागिनी को आने में देर हो गयी, इसलिए ब्रह्मा जी ने स्वयं यज्ञ किया। इससे जब माता श्री धरती लोक पर आई तो उन्हें ब्रह्मा जी के साथ यज्ञ में अन्य स्त्री के बैठे होने का बहूत दुख हुवा ओर उन्होंने ब्रह्माजी को श्राप दे दिया था। और इसी श्राप के कारण दुनिया मे ब्रह्मा जी का मंदिर पुष्कर में ही देखने को मिलता है। ajmer ka itihas
भगवान श्री राम जी ने भी अपने पिताश्री महाराज दसरथजी का तर्पण गया कुंड पर किया था। इसके साथ ही गायत्री शक्ति पीठ मंदिर भी अजमेर में ही स्तिथि है।
जब पांडव अज्ञातवास काट रहे थे, तो उन्होंने अजमेर को कुछ समय के लिए अपने रहने का स्थान बनाया था।
पुष्कर को तपोभूमि के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां पर भारत के ऋषि मुनियों ने कई सालों तक तपस्या करके हिन्दू धर्म का मार्ग प्रशस्त किया।
अजमेर के प्रमुख दर्शनीय स्थल –
अजमेर राजस्थान के प्रमुख शहर में से एक है। यहां हर साल घूमने के लिए लाखों करोड़ों की संख्या में लोग आते है। क्योंकि अजमेर के इतिहास का संबंध रामायण महा भारत काल से रहा है। ऐसे में आज अजेमर पुष्कर झील, ब्रह्मा जी का मंदिर आनंदसगर झील , जेन मंदिर आदि के वजह से राजस्थान ही नही बल्कि भारत का एक महत्वपूर्ण पर्यटनस्थल बन गया है। यहां हम आपको अजमेर में tourist place in ajmer के सभी पर्यटन स्थलों के बारे में बता रहे है।
- पुष्कर
- मणिबंध/चामुण्डा माता मन्दिर
- तारागढ़ दुर्ग
- अजमेर शरीफ़ दरगाह
- सोनीजी की नसियां
- मेयो कॉलेज
- अकबरी किला तथा संग्रहालय
- नारेली जैन मन्दिर
- आना सागर झील
- फॉयसागर झील
- पृथ्वीराज स्मारक
जेन मंदिर को तोड़कर ढ़ाई दिन के झोपडे का निर्माण – dhai din ka jhopda in ajmer
कहा जाता है कि सन 1153 में अजयमेरु के शासक ने जैन मंदिर का निर्मान करवाया था। लेकिन मुहमद गोरी ने धोखे से अपना शासन स्थापित किया और फिर 1992 में जैन मंदिर को तोड़ दिया। जेन मंदिर को तोड़ने के बाद एक मस्जिद का निर्माण करवाया ,जिसका नाम अढ़ाई दिन का झोपड़ा रखा गया। कहेते है कि मुहमद गोरी को राजपूतो का डर लगता था, इसलिए उन्हें ढाई दिन में इस मस्जिद का निर्माण करवाया।
लेकिन इतिहासकारो ओर स्थानीय लोगो का कहना है, की जब अजमेर में मराठा साम्राज्य स्थापित हुवा तो, यहां मराठो का अढ़ाई दिन का मेला लगता था। कहा जाता है, की यहां जेन मंदिर होने के कारण यहां आपने वाले सभी लोगो की इच्छा पूर्ण होती है। क्योंकि यहां आज भी जेन महाराज के होने का अहसास होता है।