जयपुर में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़: अमेरिकी नागरिकों से करोड़ों की ठगी, FBI भी आ सकती है
राजस्थान की राजधानी जयपुर में साइबर ठगी के एक बड़े अंतरराष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। जयपुर पुलिस की स्पेशल टीम ने प्रताप नगर और मालवीय नगर में चल रहे दो हाईटेक फर्जी कॉल सेंटरों पर छापेमारी कर 60 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये कॉल सेंटर अमेजॉन और एप्पल कस्टमर केयर के नाम पर अमेरिकी नागरिकों से लाखों डॉलर (करोड़ों रुपए) की ठगी कर रहे थे।
सबसे अहम बात यह है कि इस मामले में अमेरिकी जांच एजेंसी FBI भी जांच में शामिल हो सकती है। सभी पीड़ित अमेरिकी नागरिक हैं, इसलिए FBI के अधिकारी पहली बार जयपुर आकर पूछताछ कर सकते हैं।
पुलिस ने 19 नवंबर को दो ठिकानों—शिवानंद मार्ग स्थित होटल ‘द स्पार्क इन’ और प्रताप नगर सेक्टर-16 के एक मकान—में एकसाथ छापेमारी की। वहां से 57 कंप्यूटर, 3 लैपटॉप, हजारों अमेरिकी नागरिकों की निजी जानकारी, फर्जी दस्तावेज और डिजिटल सबूत बरामद किए गए हैं। गिरफ्तार 60 लोगों में 49 पुरुष और 11 महिलाएं शामिल हैं। अधिकतर आरोपी 12वीं फेल या कम शिक्षित युवा हैं। सात मुख्य आरोपियों—पार्थ ठक्कर, प्रियेश पंवार, भावार्थ जवेरी, साजन कुमार साहनी, निखिल आयरे, दीपक सोनी और सारिक—को पुलिस रिमांड पर भेजा गया है।
अमेरिका से ऑपरेट होता था पूरा रैकेट
जांच में खुलासा हुआ कि जनवरी 2025 से दोनों कॉल सेंटर सक्रिय थे और इनका मास्टरमाइंड अमेरिका में बैठा हुआ कोई व्यक्ति है।
आरोपी कॉलिंग के लिए IBM और VICI जैसे सॉफ्टवेयर और VPN का उपयोग करते थे, जिससे उनकी लोकेशन ट्रैक करना लगभग असंभव हो जाता था।
जांच में सामने आया है कि पूरा ऑपरेशन अमेरिका से संचालित हो रहा था। कॉल करने के लिए आरोपी IBM और VICI जैसे हाईटेक सॉफ्टवेयर का उपयोग करते थे और VPN के जरिए अपनी लोकेशन छिपाते थे।
24 घंटे चलता था कॉल सेंटर
कर्मचारियों को महीने में 20,000 से 40,000 रुपये तक तनख्वाह मिलती थी।
सबसे ज्यादा ठगी करने वालों को 1 लाख रुपये तक का बोनस मिलता था, इसलिए सेंटर दिन-रात बिना रुके चलते थे।
ठग गूगल पर अमेजॉन और एप्पल के नकली कस्टमर केयर नंबर को सर्च रिजल्ट में ऊपर दिखाते थे। कॉल आने पर “डायलर” पहले बातचीत करता और फिर कॉल “क्लोजर” को ट्रांसफर कर देता, जो खुद को FBI या IRS अधिकारी बताकर पीड़ित को डराता था। डर के कारण पीड़ित तुरंत पैसे ट्रांसफर कर देते थे, जो भारत में फर्जी अकाउंट या क्रिप्टोकरेंसी के जरिए आते थे।
ACP आदित्य पूनिया ने बताया कि कर्मचारियों को 20 से 40 हजार रुपये महीने वेतन मिलता था, लेकिन ठगी की रकम के आधार पर उन्हें लाख रुपये तक का इनसेंटिव भी दिया जाता था, जिस वजह से यह कॉल सेंटर 24 घंटे चालू रहते थे।
पुलिस कमिश्नर सचिन मित्तल ने बताया कि FBI से संपर्क किया गया है और आगे जांच जारी है। मास्टरमाइंड की तलाश में टीमें अमेरिका तक संपर्क में हैं।